शोध से जुड़े लेख तथा रिपोर्टशोध से जुड़े लेख तथा रिपोर्ट लिखने में सबसे मुश्किल पड़ाव यही है कि जो भी आप लिखना चाहते हैं उसे स्पष्टता तथा कुशलता से लिखें। स्पष्ट लेखन एक प्रकार का कौशल है जिसे धीरे-धीरे अभ्यास द्वारा सीखा जा सकता है। इस लेख में लेखन शैली से जुड़ी कुछ जानकारियाँ प्रस्तुत की जा रही हैं, जिससे कि आपको यह समझ आये कि रिसर्च कार्य से जुड़े लेखन में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
मूलतः, अकादमिक लेखन का स्वरुप कहानी लेखन से भिन्न होता है। यद्यपि प्रत्येक लेखन अपने आप में कोई न कोई कहानी कहती ही है, यह कहानी लेखन से मुलतः अलग होता है। कहानी में हम कभी-कभी ऐसे शब्दों या वाक्यों का प्रयोग होता है, जो सांकेतिक तथा परोक्ष होते हैं। इसलिए, अकादमिक लेखन में प्रत्यक्ष, स्पष्ट और संछिप्त भाषा शैली का प्रयोग करना चाहिए, ताकि लेखक के तर्क और व्याख्याएं पाठकों तक सीधे और स्पष्ट तरीके से पहुँचे। साथ ही, लिखते समय अस्पष्ट वाक्यों को दुबारा लिखना चाहिए। अपनी लेखनी को दूसरों को पढ़ने और उस पर प्रतिक्रिया देने के देना चाहिए ताकि यह पता चल सके कि आपका लेखन स्पष्ट है या नहीं है।
- ज़्यादा भारी-भरकम शब्दों या वाक्यों का प्रयोग करने से बचना चाहिए ताकि पाठक को कोई भ्रम न हो, और आप अपने विचारों को स्पष्ट रूप से दूसरों तक पहुँचा सकें,
- अपने तर्कों को घुमा के लिखने के बजाय सीधे लिखने की कोशिश करें तथा विवेचनात्मक वाक्यों का प्रयोग करें,
- टेक्निकल शब्दों की व्याख्या अवश्य करें
- नए विचार या सिद्धांत की व्याख्या ज़रूर करें (व्याख्या के लिए फुटनोट का प्रयोग कर सकते हैं),
- वाक्यों की शुरुआत में जटिल विचारों को रखने से बचें। सरल से जटिल की ओर बढें,
- साधारण विचारों से विशेष विचारों की ओर बढ़ें,
- अपने पाठकों को अपने लेख की संरचना का परिचय अवश्य करायें,
संक्षेप में, स्पष्ट लेखन की मूल कुंजी है पुनर्लेखन यानी बार-बार वाक्यों को लिखना और त्रुटियों को सुधारना। अपने तर्कों, खोजों तथा विचारों को पाठकों तक स्पष्टता तथा कुशलता पहुँचना ही शोध लखन का मुख्य उद्देश्य है। उपर्युक्त सुझाव इस उद्देश्य को पूरा करने में मदद कर सकता है।
पुस्तक समीक्षा (अकादमिक) कैसे लिखें? (Book Review) – (akhiripanna.com)